वो कहानी थी चलती रही !!
मै किस्सा था खत्म हुआ !!
जिसकी कफस में आँख खुली हो मेरी तरह !!
उसके लिये चमन की खिजाँ क्या बहार क्या !!

मिले जो मुफ्त में उस चीज की कीमत नहीं होती !!
हुई है कद्र हर इक साँस की जब वक़्त आया है !!
वो पहले सा कहीं मुझको कोई मंज़र नहीं लगता !!
यहाँ लोगों को देखो अब ख़ुदा का डर नहीं लगता !!
क्या गज़ब है उसकी खामोशी !!
मुझ से बातें हज़ार करती है !!
जेब में जरा सा सूराख क्या हुआ !!
सिक्कों से ज्यादा रिश्ते गिर पड़े !!
ये कहाँ मुमकिन है कि हर लफ़्ज़ बयाँ हो !!
कुछ परदे हो दरमियाँ ये भी तो लाज़मी है !!
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ !!
कहीं ऐसा न हो जाये कहीं वैसा न हो जाये !!
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Zindagi Shayari in Hindi
हर नजर में मुमकिन नहीं है बेगुनाह रहना !!
वादा ये करें कि खुद की नजर में बेदाग रहें !!
अच्छा यकीन नहीं है तो कश्ती डुबा के देख !!
एक तू ही नाखुदा नहीं ज़ालिम खुदा भी है !!

बुझने से जिस चिराग ने इंकार कर दिया !!
चक्कर लगा रही है हवा उसी के आस-पास !!
घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है !!
पहले ये तय हो कि घर को बचायें कैसे !!
तुम्हारा सिर्फ इन हवाओं पे शक़ गया होगा !!
चिराग खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा !!
हवा से कह दो खुद को आज़मा के दिखाये !!
बहुत चिराग बुझाती है एक जला के दिखाये !!
लकड़ी के मकानों में चिरागों को न रखिये !!
अपने भी यहाँ आग बुझाने नहीं आते !!
निकल आते हैं आँसू गर जरा सी चूक हो जाये !!
किसी की आँख में काजल लगाना खेल थोड़े ही है !!

कहीं जरूरत से कम तो कहीं जरूरत से ज्यादा !!
ऐ कुदरत तुझे हिसाब-किताब करना नहीं आता !!
मुकद्दर की लिखावट का इक ऐसा भी कायदा हो !!
देर से किस्मत खुलने वालों का दुगुना फ़ायदा हो !!
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किसी को नींद आती है मगर ख्वाबों से नफरत है !!
किसी को ख्वाब प्यारे हैं मगर वो सो नहीं पाता !!
इस भीड़ में अपना नजर आये कोई मुझको !!
मैं गुमशुदा बच्चे की तरह खौफज़दा हूँ !!

वही ज़मीन है वही आसमान वही हम तुम !!
सवाल यह है ज़माना बदल गया कैसे !!
दिल से दिल मिले या न मिले हाथ मिलाओ !!
हमको ये सलीका भी बड़ी देर से आया !!
जो रोशनी में खड़े हैं वो जानते ही नहीं !!
हवा चले तो चिरागों की ज़िन्दगी क्या है !!
काँटे किसी के हक में किसी को गुलो-समर !!
क्या खूब एहतमाम-ए-गुलिस्ताँ है आजकल !!
आईना फैला रहा है खुद-फरेबी का ये मर्ज !!
हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नहीं !!
सियासत इस कदर अवाम पे अहसान करती है !!
आँखे छीन लेती है फिर चश्मे दान करती है !!

इन से उम्मीद न रख हैं ये सियासत वाले !!
ये किसी से भी मोहब्बत नहीं करने वाले !!
बंद मुट्ठी से जो उड़ जाती है क़िस्मत की परी !!
इस हथेली में कोई छेद पुराना होगा !!
Hindi shayari on zindagi
मुझे ऊँचाइओं पर देखकर हैरान है बहुत लोग !!
पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे !!
चराग़ घर का हो महफ़िल का हो कि मंदिर का !!
हवा के पास कोई मस्लहत नहीं होती !!

कोई ग़म से परेशान है कोई जन्नत का तालिब !!
गरज सजदे कराती है इबादत कौन करता है !!
बहुत अजीब से हो गए हैं ये रिश्ते आजकल के !!
सब फुरसत में हैं पर वक़्त किसी के पास नहीं !!
यहाँ तहज़ीब बिकती है यहाँ फरमान बिकते हैं !!
जरा तुम दाम तो बोलो यहाँ ईमान बिकते हैं !!
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर !!
आदत इस की भी आदमी सी है !!
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फेंको !!
यहाँ झील सी गहरी खामोशी है !!
लोग बेवजह ढूंढ़ते हैं खुदकुशी के तरीके हजार !!
इश्क करके क्यों नहीं देख लेते वो एक बार !!

करम ही करना है तुझको तो ये करम कर दे !!
मेरे खुदा तू मेरी ख्वाहिशों को कम कर दे !!
कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा !!
अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे !!
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भूल कर भी अपने दिल की बात किसी से मत कहना !!
यहाँ कागज भी जरा सी देर में अखबार बन जाता है !!
खुदा या नाखुदा अब जिसको चाहो बख्श दो इज्जत !!
हकीकत में तो कश्ती इत्तिफाकन बच गई अपनी !!

जब तक था दम में दम न दबे आसमाँ से हम !!
जब दम निकल गया तो ज़मीं ने दबा लिया !!
आइना देख कर कुछ खुद को तसल्ली हुई !!
खुदगर्जी के ज़माने में कोई तो जानता है हमें !!
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है !!
जहाँ कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है !!
क्यूँ हम को सुनाते हो जहन्नुम के फ़साने !!
इस दौर में जीने की सजा कम तो नहीं है !!
अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दे !!
इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ !!
यूँ गलत नहीं होती चेहरों की तासीर लेकिन !!
लोग वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है !!

ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं !!
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं !!
कफस में मुझसे रुदादे-चमन कहते न डर हमदम !!
गिरेगी जिसपे कल बिजली वो मेरा आशियाँ क्यों हो !!
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जिस नजाकत से ये लहरें मेरे पैरों को छूतीछूती !!
यकीन नहीं होता इन्होंने कभी कश्तियाँ डुबायीं होगी !!
सीख रहा हूँ धीरे-धीरे इस दुनिया के रिवाज !!
जिससे मतलब निकल गया उसे दिल से निकाल दो !!

शाख से तोड़े गए फूल ने हँस कर ये कहा !!
अच्छा होना भी बुरी बात है इस दुनिया में !!
तेरे आज़ाद बन्दों की ना ये दुनिया ना वो दुनिया !!
यहाँ मरने की पाबंदी वहां जीने की पाबंदी !!
सिर्फ़ अंदाज़-ए-बयान बात बदल देता है !!
वरना दुनिया में कोई नई बात नहीं होती !!
बेवफा दुनिया में कौन सारी ज़िन्दगी साथ देगा !!
लोग दफना के भूल जाते हैं कि कब्र कौन सी थी !!
जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से !!
बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई !!
बारूद के इक ढेर पे बैठी हुई दुनिया !!
शोलों से हिफ़ाजत का हुनर पूछ रही है !!

कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूँ मैं वो शख़्स नहीं !!
वो शायर हूँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है !!
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर !!
न बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ती है !!
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उनसे कहना अपनी किस्मत पे गुरूर अच्छा नहीं होता !!
हम ने बारिश में भी जलते हुए घर देखे हैं !!
दीदार की तलब हो तो नजरें जमाये रख !!
क्यूँकि नक़ाब हो या नसीब सरकता जरुर है !!

रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी !!
देखना ये है चिरागों का सफ़र कितना है !!
कुछ ऐसे हो गए हैं इस दौर के रिश्ते !!
जो आवाज तुम ना दो तो बोलते वो भी नहीं !!
मजबूरियों से लड़कर रिश्तों को समेटा है !!
कौन कहता है मुझे रिश्तें निभाने नहीं आते !!
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते !!
वक्त की शाख से लम्हे नहीं टूटा करते !!
कुछ रूठे हुए लम्हें कुछ टूटे हुए रिश्ते !!
हर कदम पर काँच बन कर जख्म देते हैं !!
मुलाकातें जरूरी हैं अगर रिश्ते निभाने हैं !!
लगाकर भूल जाने से तो पौधे भी सूख जाते हैं !!

जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा !!
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता !!
ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है !!
ज़िंदा होने की खबर सबसे छुपा ली है !!
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किसी ने तो दे रखा होगा उनको भी मक़ाम !!
वर्ना ये बेघर लोग यूँ मुस्कुराते न फिरते !!
पूछा न ज़िन्दगी में किसी ने भी दिल का हाल !!
अब शहर भर में ज़िक्र मेरी खुदकुशी का है !!

आप की खातिर अगर हम लूट भी लें आसमाँ !!
क्या मिलेगा चंद चमकीले से शीशे तोड़ के !!
अभी महफ़िल में चेहरे नादान नजर आते हैं !!
लौ चिरागों की जरा और घटा दी जाये !!
हमने रोते हुए चेहरे को हँसाया है सदा !!
इससे बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे !!
कौन सी चीज़ महंगाई की बुलंदी पे नहीं !!
खून-खराबा मगर इस दौर ने सस्ता रखा !!
छुपे-छुपे से रहते हैं सरेआम नहीं हुआ करते !!
जो रिश्ते एहसास होते हैं बेनाम हुआ करते हैं !!
खूबियाँ लाख किसी में हों तो जाहिर न करें !!
लोग करते हैं बुरी बात का चर्चा कैसा !!
जल के आशियाँ अपना ख़ाक हो चुका कब का !!
आज तक ये आलम है रोशनी से डरते हैं !!

तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो
किस-किस को बताओगे घर क्यों नहीं जाते
मेरी आवाज़ ही पर्दा है मेरे चेहरे का !!
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ मुझको वहाँ से सुनिए !!
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Zindagi barbad shayari
बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन !!
वो जानता था कि है एहतमाम किसके लिए !!
वाकिफ था मेरी खाना-खराबी से वो शख्स !!
जो मुझसे मेरे घर का पता पूछ रहा था !!

सियासत को लहू पीने की लत है !!
वरना मुल्क में सब ख़ैरियत है !!
सितम ये है कि हमारी सफों में शामिल हैं !!
चराग बुझते ही खेमा बदलने वाले लोग !!
उड़ जायेंगे तस्वीरों से रंगों की तरह हम !!
वक़्त की टहनी पर हैं परिंदों की तरह हम !!
सुलझा हुआ सा समझते हैं मुझको लोग !!
उलझा हुआ सा मुझमें कोई दूसरा भी है !!
सूखे हुए शजर को पानी मिला नहीं !!
आज सब्ज़ हुआ आँगन तो बारिश होने लगी !!
समझ पाता हूँ देर से मैं दांव-पेंच उसके !!
वो बाजी जीत जाता है मेरे चालाक होने तक !!

जाया ना कर अपने अल्फाज किसी के लिए !!
खामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है !!
पाँवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नजर !!
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं !!
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मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना !!
यार अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जाना !!
बेगुनाह कोई नहीं गुनाह सबके राज़ होते हैं !!
किसी के छुप जाते हैं किसी के छप जाते हैं !!

शहर में सबको कहाँ मिलती है रोने की जगह !!
अपनी इज़्ज़त भी यहाँ हँसने हँसाने से रही !!
मंजिलें होती हैं कुछ ऐसी कि जिनकी राह में !!
दम निकल जाए अगर तो फख्र की ही बात है !!
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते !!
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला !!
मैं एक शाम जो रोशन दीया उठा लाया !!
तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया !!
उसका ये ऐलान है कि वो मजे में है !!
या तो वो फ़कीर है या फिर नशे में है !!
तेरी खामोशी अगर तेरी मज़बूरी है !!
तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है !!

सारी ज़िन्दगी रखा रिश्तों का भ्रम !!
कोई अपने सिवा अपना न मिला मुझे !!
आज तो झगड़ा होगा तुझसे ऐ खुदा !!
मुश्किलें बढ़ा दी तो सब्र भी बढ़ा देता !!
Zindagi ki shayari
अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से !!
तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की !!
भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आया हूँ !!
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते !!

उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझको !!
यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था !!
ये जो हालात हैं एक रोज सुधर जायेंगे !!
पर कई लोग मेरे दिल से उतर जायेंगे !!
हजारों जवाब से अच्छी मेरी खामोशी !!
न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली !!
मेरी शायरी का असर उनपे हो भी तो कैसे हो !!
मैं एहसास लिखता हूँ तो वो अल्फाज़ पढ़ते हैं !!
वाकई पत्थर दिल ही होते हैं दिलजले शायर !!
वर्ना अपनी आह पर वाह सुनना कोई मज़ाक नहीं !!
हमारी शायरी पढ़कर बस इतना ही बोले वो !!
कलम छीन लो इनसे लफ्ज़ दिल चीर देते हैं !!

चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है !!
वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है !!
शब्दों के इत्तेफाक़ में यूँ बदलाव करके देख !!
तू देख कर न मुस्कुरा बस मुस्कुरा के देख !!
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कभी तो अपने अन्दर भी कमियां ढूढ़े !!
ज़माना मेरे गिरेबान में झाँकता क्यूँ हैं !!
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई !!
और बिखर जाऊँ तो मुझको न समेटे कोई !!

करते हैं मेरी खामियों को बयान ऐसे !!
लोग अपने किरदार में फ़रिश्ते हों जैसे !!
फासले इस कदर हैं आजकल रिश्तों में !!
जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में !!
खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो !!
कुछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं !!
हर शख्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ !!
फिर भी चाहता है उसे रास्ता मिले !!
ये कशमकश है कैसे बसर ज़िन्दगी करें !!
पैरों को काट फेंके या चादर बड़ी करें !!
बेहतर दिनों की आस लगाते हुए हबीब !!
हम बेहतरीन दिन भी गंवाते चले गए !!

अक्सर वो फैसले मेरे हक़ में गलत हुए !!
जिन फैसलों के नीचे तेरे दस्तखत हुए !!
हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको !!
हम से मुँह देखकर लहजा नहीं बदला जाता !!
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Zindagi maut shayari
इस दौरे सियासत का इतना सा फ़साना हैं !!
बस्ती भी जलानी है मातम भी मनाना है !!
सियासत की दुकानों में रोशनी के लिए !!
जरूरी है कि मुल्क मेरा जलता रहे !!

नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है !!
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है !!
बस यही दो मसले ज़िन्दगी भर ना हल हुए !!
ना नींद पूरी हुई ना ख्वाब मुकम्मल हुए !!
फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली !!
क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है !!
शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है !!
जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में !!
खामोशियाँ वही रही ता-उम्र दरमियाँ !!
बस वक़्त के सितम और हसीन होते गए !!
अहमियत यहाँ हैसियत को मिलती है !!
हम है कि अपने जज्बात लिए फिरते हैं !!

हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो !!
लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने !!
तलब करें तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें दे दूँ !!
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब माँगते हैं !!
Zindagi shayari
खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का !!
मगर दो बूँद बारिश ने औकात बता दी !!
दुनिया वालों ने तो फकत उसको हवा दी थी !!
लोग तो अपने ही थे आग लगाने वाले !!

अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी !!
कितना मुश्किल है बड़े होके बड़े रहना भी !!
न रुकी वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला !!
पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला !!
आँधी ने तोड़ दी हैं दरख्तों की टहनियां !!
कैसे कटेगी रात? परिंदे उदास हैं !!
सुना है अब भी मेरे हाथ की लकीरों में !!
नजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है !!
हुनर बताते अगर उसके ऐब को हम भी !!
तो दोस्तों में हमें भी शुमार कर लेता !!
ऐ सियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया !!
गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया !!

नए रिश्ते जो न बन पाएं तो मलाल मत करना !!
पुराने टूटने न पाएं बस इतना ख्याल रखना !!
मौजों से खेलना तो सागर का शौक है !!
लगती है कितनी चोट किनारों से पूछिये !!
Zindagi shayari 2 line
मेरे किस्से सर-ए-बाज़ार उछाले उसने !!
जिसका हर ऐब ज़माने से छुपाया मैंने !!
कट गया पेड़ मगर ताल्लुक की बात थी !!
बैठे रहे ज़मीन पर वो परिंदे रात भर !!

जब भी हो थोड़ी फुरसत मन की बात कह दीजिये !!
बहुत ख़ामोश रिश्ते ज़्यादा दिनों तक ज़िंदा नहीं रहते !!
मिलने को तो हर शख्स एहतराम से मिला !!
पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला !!
क्या कहिये किस तरह से जवानी गुजर गई !!
बदनाम करने आई थी बदनाम कर गई !!
मुझको दिखा रहा था जो मंजिलों के ख्वाब !!
फिर मेरे सामने से वो रस्ता चला गया !!
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है !!
खुशबू खुद बता देती है कौन सा फूल है !!
रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में !!
मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ !!

मेरे जुनूँ को ज़ुल्फ़ के साए से दूर रख !!
रस्ते में छाँव पा के मुसाफ़िर ठहर न जाए !!
शायद कोई तराश कर मेरी किस्मत संवार दे !!
यह सोच कर हम उम्र भर पत्थर बने रहे !!
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अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के !!
उतरना दिल में है या दिल से उतरना है !!
कुछ इस तरह खूबसूरत रिश्ते टूट जाया करते हैं !!
दिल भर जाता है तो लोग रूठ जाया करते हैं !!

कुछ इस तरह से सौदा किया मुझसे मेरे वक़्त ने !!
तजुर्बे देकर वो मुझसे मेरी नादानियाँ ले गया !!
मशरूफ रहने का अंदाज़ तुम्हें तन्हा ना कर दे !!
रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं !!
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है !!
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है !!
एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का !!
सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का !!
दौड़ में दौलत की तुम्हें जो भी मुक़ाम मिल जाये !!
नाम बदल देना मेरा जो इत्मिनान मिल जाये !!
होगा गजब जो हशर में झगड़ा हो जायेगा !!
मानो कहा कि बात अभी घर की घर में हैं !!

पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम !!
कुछ लोगों को ये बात पसंद नहीं आयी !!
लूटेंगे लोग तुझको बड़े इत्मिनान से !!
तेरे लहजे से शराफत झलकती है !!