मुझे धोका दे कर आज तू खुश है !!
मुझे तड़पा तड़पा के रुला कर आज तू खुहै !!
आँख से आँसू न गिरे तो कविता कैसी !!
चेहरे पे मुस्कान न आये तो कविता कैसी !!

किस क़दर मासूम सा चेहरा था उस का !!
ग़ालिबधीरे से जान कह कर बेजान कर गया !!
मेरी हर एक मंज़िल को राहा मिल जाये !!
तेरा चेहरा जब नज़र आये !!
शाम की लाली तेरी रंगत की याद दिलाती है !!
तेरी #मासूमियत ही मुझे तेरी ओर खींच लाती है !!
बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर !!
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है !!
झूठ भी बोलते हैं वो कितनी मासूमियत से !!
जानकर भी अंजान बनने को जी चाहता है !!
उनका मासूम चेहरा और मासूम हो जाता है !!
जब वो अपनी ख्वाबों की दुनिया में खो जाता है !!

मोहब्बत की दास्तान तब्दील बेवफाई में हो गई !!
ना जाने उसकी मासूम प्रेम कहानी कहां खो गई !!
मासूम निगाहों को मुस्कुराते देखा है !!
मैंने अपनी मोहब्बत को तुम्हे दिल में छुपाते देखा है !!
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Masoom Chehra Shayari In Hindi
बेवफा तेरा मासूम चेहरा भूल जाने के काबिल नही !!
है मगर तू बहुत खूबसूरत पर दिल लगाने के काबिल नही !!
अगर उम्मीदएवफ़ा करूँ तो किस से करूँ !!
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है !!

काम आ सकी न अपनी वफायें तो क्या करें !!
उस बेवफा को भूल न जाये तो क्या करे !!
तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी !!
बेवफा मैंने तुझ को भुलाया नहीं अभी !!
ये शायरी की महफ़िल बनी है !!
आशिकों के लिये बेवफाओं की क्या !!
औकात जो शब्दों को तोल सके !!
यूँ नाराज़ मत हुआ करो हमसे इतना मेरे सनम !!
बदकिस्मत ज़रूर हैं हम मगर बेवफा नहीं !!
सितम है लाश पर उस बेवफा का यह कहना !!
कि आने का भी न किसी ने इंतज़ार किया !!
रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लिपट के !!
ऐसा लगा के जैसे कभी बेवफा न थे वो !!
वो जमाने में यूँ ही बेवफ़ा मशहूर हो गये दोस्त !!
हजारों चाहने वाले थे किस-किस से वफ़ा करते !!

मेरी तलाश का जुर्म है,या मेरी वफा का क़सूर !!
जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला !!
अपने तजुर्बे की आज़माइश की ज़िद थी !!
वर्ना हमको था मालूम कि तुम बेवफा हो जाओगे !!
Masoom Chehra Shayari
बेवफा तेरा मासूम चेहरा भूल जाने के काबिल नही !!
है,मगर तू बहुत खुबसूरत दिल लगाने के काबिल नही !!
कोई समझाओ इन खूबसूरत हसीनाओं को !!
मेरे यार के चेरे के आगे सुब फीकी है !!

उसकी सादगी और उसकी खूबसूरती की क्या दूँ मिसाल !!
चेहरे पर मासूमियत और अदाएं उसकी है बड़ बेमिसाल !!
दुनिया में कोई भी इंसान !!
सख़्त दिल पैदा नही होता !!
बस ये दुनिया वाले !!
उसकी मासूमियत छीन लेते है !!
मासूम तेरी आँखों में मेरा दिल खो जाता है !!
जब जब तुझे देख लू मेरा जीवन मुकम्मल हो जाता है !!
न आए तू जो मुझको नज़र !!
तेरे दीदार के लिए मेरा दिल तरस जाता है !!
मुकद्दर की लिखावट का इक ऐसा भी कायदा हो !!
देर से क़िस्मत खुलने वालों का दुगुना फ़ायदा हो !!

क्यों उलझता रहता है !!
तू लोगो से फराज !!
ये जरूरी तो नहीं वो !!
चेहरा सभी को प्यारा लगे !!
Aap ka masoom chehra shayari in hindi
मुहब्बत होंठों से नहीं !!
उनसे निकली मीठी बातों से है !!
क्यों कि मासूमियत चेहरे से !!
कहीं ज्यादा उसकी भोली आँखों !!

इल्ज़ाम तो लगा दूँ कि क़ातिल भी तुम्ही हो !!
मगर मासूम सा चेहरा है यक़ीन कौन करेगा !!
धोखा देती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक !!
हर काँच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते !!
न जाने दिल कब तुझे चैन अपना दे बैठा है !!
प्यार में तेरा मासूम सा चेहरा खिल उठा है !!
दिल को बेवफाई की ऐसी चोट दे जाती है !!
धोखेबाजी तो मासूम नजरों में ही होती है !!
और ना तड़पाओ, बसा लो मुझे अपनी निगाहों मे !!
खो चुका हूं खुद को तुम्हारी इन मासूम अदाओं मे !!
तमन्ना ना की हो उसने मैं इतना प्यार दू !!
मासूम सी मोहब्बत पर अपनी जान वार दू !!

दिल से बहुत मासूम हूं मैं !!
बस मेरे कारनामे ही ख़तरनाक हुआ करते है !!
ए खुदा, सच्चे दिल से दरख्वास्त करता हूं तुझसे !!
मासूम मुस्कान को उसकी जुदा ना करना चेहरे से !!
Bewafa tera masoom chehra shayari
क्या बयान करें तेरी मासूमियत को शायरी में हम !!
तू लाख गुनाह कर ले सजा तुझको नहीं मिलनी !!
मासूम सा दिल करता रहा प्यार का इजहार !!
मगर तुमने ओ जालिमा किया मेरा इनकार !!

मासूम सी सूरत को अपन दिल में बसा लेते हम !!
प्यार की हद से भी ज्यादा प्यार कर लेते हम !!
शाम की लाली तेरी रंगत की याद दिलाती है !!
तेरी मासूमियत ही मुझे तेरी ओर खींच लाती है !!
ना जाने वह बेवफा मन में कैसे मुस्कुरा लेती है !!
मासूम सूरत को याद कर आंख मेरी अब भर आती है !!
किस क़दर मासूम सा चेहरा था उस का ग़ालिब !!
धीरे से जान कह कर बेजान कर गया !!
मासूम निगाहों को मुस्कुराते देखा है !!
मैंने अपनी मोहब्बत को तुम्हे दिल में छुपाते देखा है !!
क्यूं ना रौशन हो मेरी ज़िन्दगी तुम्हारे होने से !!
मैंने हर सजदे में तुम्हे आंसू बहाते देखा है !!

कुछ इस तरह तुम्हे खुदको आज़माते देखा है !!
मेरी मौजूदगी में तुम्हे पलके झुकाये देखा है !!
वो मासूम चेहरा मेरे ज़ेहन से निकलता ही नहीं !!
दिल को कैसे समझाऊ कि धोखेबाज़ था वो !!
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Kitna masoom chehra shayari
मोहब्बत की ये बरसाते अब हमें सच्ची लगती है !!
मासूम सवाल करने की आदत हमें अच्छी लगती है !!
मदहोशी को अपनी मैं बयां करना चाहू !!
मासूम सूरत से उम्र भर मैं प्यार करना चाहू !!

है मगर तू बहुत खूबसूरत !!
पर दिल लगाने के काबिल नह !!
कितनी मासूमियत छलक आती है !!
जब छोटे बच्चे की तरह वो मेरी !!
उंगलियो के साथ खेलते खेलते सो जाती है !!
थम के रह जाती है जिंदगी !!
जब जम के बरसती है पुरानी यादें !!
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब !!
ये ज़रूरतें तो कभी ख़त्म नहीं होंगी !!
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर !!
या फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में हैं !!
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो !!
कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी !!

यादें वादे कसमें किस्से फरेब होते हैं !!
हमें झूठा समझने का इरादा ना करो !!
वो मासूम चेहरा मेरे ज़ेहन से निकलता ही नहीं !!
दिल को कैसे समझाऊ कि धोखेबाज़ था वो !!
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मुझे धोका दे कर आज तू खुश है !!
मुझे तड़पा तड़पा के रुला कर आज तू खुश है !!
अपनों की फितरत में ही है धोखा देना !!
क्यूंकि गैरों से मिले धोखे का तो दर्द भी नहीं होता !

अपनी पीठ से निकले खंज़रों को जब गिना मैंने !!
ठीक उतने ही निकले जितना तुझे गले लगाया था !!
सिर्फ चेहरा ही नहीं शख्सियत भी पहचानो !!
जिसमें दिखता हो वही आईना नहीं होता !!
क्या बयान करें तेरी मासूमियत को शायरी में हम !!
तू लाख गुनाह कर ले सजा तुझको नहीं मिलनी !!
देखकर दीवाने हो गए हम उसकी मुस्कान के !!
खरीद लिए गम भी, तब हमने उस मासूम के !!
दांतो तले उंगली दबा कर निगाहें मुझ पर रोकना !!
बड़ा अच्छा लगता मुझे तेरा मासूम नजरों से देखना !!
हुस्न की मासूमियत थोड़ी सी कम कर दे !!
वरना मेरी निगाहों को तेरा गुनहगार बनने दें !!

दांतो तले उंगली दबा कर निगाहें मुझ पर रोकना !!
बड़ा अच्छा लगता मुझे तेरा मासूम नजरों से देखना !!
तेरे जैसा मासूम होना किसी के बस की बात नही !!
तेरे जैसा हुस्न पाना भी किसी के बस की बात नही !!
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प्यार की राहों में मुझे तन्हा छोड़ गई !!
मासूम से दिल को क्यों धोखा दे गई !!
उनके हर एक लम्हे कि हिफाजत करना ए खुदा !!
मासूम चेहरा है,उदास अच्छा नहीं लगता !!

क्या बयान करें तेरी मासूमियत को शायरी में हम !!
तू लाख गुनाह कर ले सजा तुझको नहीं मिलनी !!
लिख दूँ किताब तेरी मासूमियत पे मैं लिकिन !!
कहीं हर कोई तुझे पाने का तलबगार न हो जाए !!
इश्क मेरा गहरा जो उन्हें करीब लाया है !!
उनकी मासूम अदाओं पर मेरा ये दिल आया है !!
उसके दिल्लगी करने का अंदाज याद है !!
मासूम सा चेहरा मुझे आज भी याद है !!
मासूम सा दिल मेरा मुझसे बार बार कह रहा है !!
वो अपना है ही नहीं जिसे तूने जिंदगी बनाया ह !!
मासूम की निगाहें भी क़यामत से कम नही !!
के जो बरस जाए जंग के मैदान पर !!!
मैदान भी मंदिर बन जाय करते हैं !!

मासूम होकर अचानक से वो बोला !!
भाई पानी की मशीन चालु कर द !!
अधुरा सा बैठा हू कब से अन्दर !!
कुछ इस कदर ताल्लूक टूटा है नींद से !!
कि चाहूं सपने में मिलूंगा उन्हें तो सारी रात !!
जागने में ही गुजर जाती है !!
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इतनी मासूमियत कहाँ से लाते हो !!
इतना अच्छा कैसे मुस्कुराते हो !!
बचपन से ही कमीने हो, या शक्ल ऐसी बनाते !!
न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर !!
तेरे सामने आने से ज़्यादा !!
तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है !!

ये गुल सा मासूम चेहरा उस पर खिला रंग सुनहरा !!
और क्या तारीफ करे आपकी आपको तो खुदा ने !!
अपने हाथो से है नवाजा !!
हर हीरा चमकदार नहीं होता !!
हर समंदर गहरा नहीं होता !!
दोस्तों ज़रा संभल कर प्यार करना !!
हर खूबसूरत चेहरा वफादार नहीं होता !!
खूबसूरती से मासूमियत नहीं जलकती है !!
साहबमासूमियत देखनी है !!
तो उस बच्चे से पूछो जो !!
दिन भर खिलौनों की दुकान पर काम करता ह !!
कितनी मासूम होती हैं माँ की ममता !!
अपने बच्चों की सलामती के लिए !!
कभी मंदिर में प्रसाद चढ़ाती हैं !!
तो कभी दरगाह में चादर चढ़ाती हैं !!
कभी गुरुद्वारे में अरदास करती हैं !!
तोकभी गिरिजाघर में प्रार्थना करती हैं !!
कहाँ कोई आजकल सच्चा होता हैं !!
कहाँ सभी के मकान पक्का होता हैं !!
आजकल किसी के अंदर भी कहाँ !!
मासूम दिल वाला बच्चा होता हैं !!
उसे देख कर लगता है नज़र ना लगे इसकी !!
मासूमियत को उन दरिंदो की पहुंच से कोसो दूर रहे !!
इसका बचपना कोई आंच न आए इसके आत्मविश्वास !!
में कोई ना बहला सके इसे अपनी साज़िश में !!

सवालों के परत में लिपटे ना जाने !!
कितने सवालमन में आते हैं !!
जब करते हैं तलाश जवाब की !!
फिर मासूम से सवाल सिर्फ सवाल ही रह जाते हैं !!
मोहब्बत सिखा कर जुदा हो गए !!
ना सोचा ना समझा खफा हो गए !!
दुनिया में किसको हम अपना कहे !!
अगर तुम ही मेरी जान बेवफा हो गए !!
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भूखे पेट ही काम पर आ जाते हैं !!
पर चीथड़ों से झांकते ज़ख्म के निशान !!
अधूरे ख्बावों की दास्तान कह जाते हैं !!
ये चेहरा ये रौनक ढल ही !!
जाएगी इक उम्र के बाद !!
पर हम मिलते रहेंगे ताउम्र !!
यूं ही अल्फाजों के साथ !!

बचपन से ही परिवार का बोझ !!
अपने नाज़ुक कंधों पर उठाते है !!
हाॅं, ये मासूम कच्ची उम्र में पिता बन !!
अपना घरबार चलाते हैं !!
ख्बावों को जिम्मेदारी के बक्से में बंदकर !!
चाँद सा चेहरा देखने की इजाज़त दे दो !!
मुझे ये शाम सजाने के इजाज़त दे दो !!
मुझे क़ैद करलो अपने इश्क़ में या !!
मुझे इश्क़ करने के इजाज़त दे दो !!
मासूम तेरी आँखों मे मेरा दिल खो जाता है !!
जब जब तुझे देख लू मेरा जीवन मुकम्मल हो जाता है !!
न आए तू जो मुझको नज़र तेरे दीदार के लिए !!
मेरा दिल तरस जाता है !!
इश्क़ का नशा कैसा होता है !!
जो करता है उसको तो पता होगा !!
मेने किसी से पूछा कैसा होता है !!
उसने कहा नशानशा होता है, इश्क़ वैसा होता है !!
उस खुदा का क्या शुक्रिया करूँ !!
जिस खुदा ने उसको बड़ी पूरस्त से बना होगा !!
पहले सोचा होगा इस नूर को में रखलूं !!
फिर सोचा तो मेरा ख्याल मन में बना होगा !

मुझे तेरी नज़र ने दिवाना बना दिया !!
मुझे अपनी अदाओ से पागल बना दिया !!
हर पल दिल करता है तेरी ही फ़िक्र !!
अब तो होने लगा है तेरे मेरे प्यार का जिक्र !!
बना कर और इंतेज़ार मैंने तन मन से अपना बना लिया !!
तेरी मोहब्बत मुझे तबसे मिली !!
मैं जबसे तेरा तलबगार हो गया !!
मेरा दिल पहले अकेला था !!
यह दिल तेरे ही प्यार का बीमार हो गया !!
Masoom chehra shayari in hindi
मासूम सी आपकी ये निगाहें !!
कहीं चैन ना छीन ले हमारा !!
प्यार का आगाज कर रही हैं !!
वोकहीं दिल ना चुरा ले हम तुम्हारा !!
मुहब्बत होंठों से नहीं !!
उनसे निकली मीठी बातों से है !!
क्यों कि मासूमियत चेहरे से कहीं ज्यादा !!
उसकी भोली आँखों में है !!

माना मुसीबत का बाजार है !!
तूझे तोड़ने वाले लोग हजार है !!
सब सामना करना तूझे ही है !!
लेकीन अपनी मासुमीयत बचा रखना !!
बुरा और भला पहचानने में मासूमियत खो गई !!
जब वो मतलबी इंसान जाग गया तो इंसानियत सो गई !!
जाने कहाँ मासूमियत खो गई !!
मासूमियत तुझमे है !!
पर तू इतना मासूम भी नहीं !!
की मैं तेरे कब्जे में हूँ !!
और तुझे मालूम भी नहीं !!
दिल ने ढकना तुमसे सीखा है !!
राहों में चलना आपसे सीखा है !!
चेहरा देखा है मैने उसका !!
रस्ते की मुलाकात देखा है !!
क्या कहूँ दिल की बाते आपसे !!
क्या बताऊँ कैसे हसीं रस्ते !!
चेहरा है मस्सोम कितना तुम्हारा !!
कैसे है, फिर ये अजनबी वास्ते !!
कोई मंजिल कोई रास्ता तोह दे दे !!
मेरे होने का राबते दे दे !!
क्या हिलसिला है ये चाहत का !!
चेहरा दिखा दे मुझे और रहत दे दे !!

दिल कर है सुक्रिया तेरा और खुदा का !!
तेरा कुछ यूँ कि तू मुझे मिला !!
खुदा का क्युकी उसने मेरे लिए बनाया !!
इन ज़माने वालो को मत करो खबर !!
जालिम चाँद को देखना छोड़ कर !!
आपका दीदार करने लगेंगे !!
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केहदो हुए हम यूँ ही मर जाएंगे !!
यूँ हसकर चेहरा दिखाना हमारा !!
बोहोत ही कातिल लगता है !!
इस दिल की वजह हो तुम !!
अरे तुम चेहरे की बात करते हो !!
हम तोह आपका दिल देख कर पागल है !!

तेरे करीब आके लगा हसीं !!
जहां ये सारा अरे में तो उस !!
खुदा की कारीगरी देख हैरान हो !!
कैसे बनाना होगा उसने ये चेहरा हमारे !!
मेरे अंदर झांक कर देखो टुकड़ों में !!
मिलूंगा ये हसता हुआ चेहरा तो !!
बस दिखाने के लिए है !!
मैं खुद हैरान हूं कि !!
तुझसे इतनी मोहब्बत क्यूं है !!
मुझे,जब भी प्यार शब्द आता है !!
चेहरा तेरा ही याद आता है !!
तेरा चेहरा आज भी मासूम है !!
आज भी मेरी चाहत में वही सुकून है !!
तेरे चेहरे पे एक मुस्कान के लिए !!
जान भी वार दे ऐसा मेरा जुनून है !!
कितनी मासूमियत छलक आती है !!
जब छोटे बच्चे की तरह वो मेरी !!
उंगलियो के साथ खेलते खेलते सो जाती है !!
दम तोड़ जाती है हर शिकायत !!
लबों पे आकर जब मासूमियत से !!
वो कहती है मैंने क्या किया है !!

बेमिसाल कुर्बत है !!
तू काइनात की दिल खो दिया है !!
जबसे ये हसीं चेहरे देखा है हमने ऐ सनम !!
बुझ जाएंगी सारी आवाजें !!
यादें यादें रह जाएंगी !!
तस्वीर बचेंगी आँखों में !!
और बातें सब बह जाएंगी !!
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मासूमियत तुझमे है !!
पर तू इतना मासूम भी नही !!
की मैं तेरे कब्जे में हूँ !!
और तुझे मालूम भी नहीं !!
मासूम तेरी आँखों में मेरा दिल खो जाता है !!
जब जब तुझे देख लू मेरा जीवन मुकम्मल हो जाता है !!
न आए तू जो मुझको नज़र तेरे दीदार के लिए !!
मेरा दिल तरस जाता है !!

मोहब्बत सिखा कर जुदा हो गए !!
ना सोचा ना समझा खफा हो गए !!
दुनिया में किसको हम अपना कहे !!
अगर तुम ही मेरी जान बेवफा हो गए !!
बहुत मासूम होते है ये आँसू भी !!
ये गिरते उनके लिए है !!
जिन्हे परवाह नहीं होती !
चेहरा उसका बोहोत ही खूबसूरत है !!
एक नूर से जदया सुरूर है !!
मासूम इतना है की क्या बताये अब !!
हर मुलाकात में वो लगती हूर है !!
ये लिखना जैसे मेरा नशा सा है !!
आज भी तेरा चेहरा बंद आंखों ने !!
पढ़ना नहीं छोड़ा !!
चेहरा देख कर इंसान !!
पहचानने का हुनर था मुझमें !!
तकलीफ़ तो तब हुई जब इंसानों !!
के पास चेहरे बहुत हो गए !!
एक अदा आपकी दिल चुराने की !!
एक अदा आपके दिल में बस जाने की !!
चेहरा आपका चांद सा और !!
एक ज़िद हमारी चांद पाने की !!
मदहोश मत करो मुझे !!
अपना चेहरा दिखा कर !!
मोहब्बत अगर चेहरे से होती तो !!
खुदा दिल नहीं बनाता !!